“गार्डनिंग और नेचुरल हेल्थ”

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Gardening aur natural health – गार्डनिंग और प्राकृतिक स्वास्थ्य का रिश्ता बेहद गहरा है।  बागवानी न केवल पर्यावरण के लिए फायदेमंद है, बल्कि यह हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी बेहद लाभकारी है। जब हम पौधों के बीच समय बिताते हैं तो न सिर्फ ताज़ी हवा और हरियाली मिलती है, बल्कि मन भी हल्का और शांत महसूस करता है। मिट्टी से जुड़ना, पौधों को सींचना और उन्हें बढ़ते देखना एक तरह की थेरेपी है, जो तनाव और थकान को कम करती है। गार्डनिंग हमें ताज़ी सब्ज़ियाँ, जड़ी-बूटियाँ और फल देती है, जो शरीर को सेहतमंद रखते हैं। यह आदत हमें प्रकृति के और करीब लाती है और संतुलित जीवनशैली अपनाने में मदद करती है। सचमुच, गार्डनिंग स्वास्थ्य और खुशी दोनों की कुंजी है। इसके महत्व को इस लेख के माध्‍यम से आपको बताने का प्रयास किया गया है ।

Gardening aur natural health

1- गार्डनिंग: सिर्फ शौक नहीं, स्वास्थ्य का खजाना

बागवानी स्‍वास्‍थ्‍य के लिये बहुत सारे लाभ प्रदान करती है जिनको हम अक्‍सर अनदेखा कर देते हैं। बगीचा तैयार करने, उसका विस्‍तार या उसे आकर्षक बनाने के लिये मिट्टी खोदना,  पौधों को पानी देना, खरपतवार हटाना और क्रियाएं शरीर के विभिन्‍न मासपेशियों को सक्रिय करते हैं, जो कि एक प्रभावी व्‍यायाम का रूप है, जिससे कैलोरी बर्न होती है, साथ ही धूप में बागवानी करने से प्राकृतिक रूप से विटामिन D प्राप्‍त होता है, जो हड्डियों को मजबूत बनाता है और प्रतिरक्षा प्रणाली को सशक्‍त बनाकर विभिन्‍न बीमारियों की जोखिम को कम करता है।  बागवानी के माध्‍यम से उगाई गई सब्जियां, जड़ी-बूटियाँ और फल ताजे होने के साथ ही पोषक तत्‍वों से भरपूर और कैमिकल से मुक्‍त होते हैं, जो संतुलित आहार का मुख्‍य आधार हैं।

2- मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभकारी

बागवानी आपके मूड को अच्‍छा और बेहतर बना सकती है। कुछ रिसर्च में पाया गया है कि अगर हम नियमित रूप से बागवानी करें तो याददाश्त से जुड़ी बीमारियों, जैसे डिमेंशिया, का खतरा लगभग आधा कम हो सकता है । इसके साथ ही यह भी  पाया गया है कि गार्डनिंग करने से तनाव और चिंता कम होती है। मिट्टी को छूना, पौधों को बढ़ते देखना और हरियाली का आनंद लेना दिमाग़ को रिलैक्स करता है। इसे नेचुरल थेरेपी भी कहा जा सकता है।बागवानी के दौरान मिट्टी से जुड़ाव और प्रकृति के साथ समय बिताने से मानसिक तनाव और चिन्‍ता कम होती है। शरीर में कोर्टिसोल का स्‍तर सही होना बहुत जरूरी है। बागवानी से तनाव हार्मोन कोर्टिसोल का स्‍तर कम होता है। बागवानी एक तरह से ध्‍यान है, जिससे मन शांत होता है और मानसिक स्थिरता आती है। पौधों की देखभाल और सुंदर बगीचा बनाने से आत्‍मसंतुष्टि मिलती है और सृजनात्मकता को प्रोत्‍साहन मिलता है।

3- पर्यावरणीय स्वास्थ्य के लिए योगदान

अपने बगीचे में उगाई गई ताज़ी सब्ज़ियाँ, फल और जड़ी-बूटियाँ शरीर को ज़रूरी पोषण देती हैं। यह न केवल सेहतमंद जीवनशैली अपनाने में मदद करती है, बल्कि आपको केमिकल-फ्री प्राकृतिक आहार भी देती है।पौधे हवा को शुद्ध करते हैं और वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करते हैं।  पौधे की पत्तियां हवा से धूल के कणों को हटाती हैं और अन्‍य वायू प्रदूषकों को अवशोषित करती हैं, साथ ही बागवानी में सिंचाई के लिये ग्रेवाटर का उपयोग करने से घर से लैंडफिल में जाने वाला जैविक कचरा कम होता है। बागवानी से पक्षियों, मधुमक्खियों और तितलियों जैसे जीवों को आश्रय मिलता है, जिससे जैव विविधता बढ़ती है। इस प्रकार बागवानी पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाती है। 

4- सामाजिक जुड़ाव

सामुदायिक बागवानी लोगों को एक साथ लाने का काम करती है। इसके अलावा यह समाज में सकारात्मक संबंध बनाने और समूहिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने का माध्यम बनती है। बागवानी क्‍लबों,  सामुदायिक उद्यानों में भाग लेकर व्‍यक्ति समान पसंद और उत्‍साही दोस्‍तों के साथ अपने सुझाव साझा करते हैं जिससे सामाजिक जुड़ाव का अवसर प्राप्‍त होता है। जिससे मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य बेहतर होता है।

🌹 "शरीर को थकाए बिना बगीचे की खूबसूरती बढ़ाने के नुस्खे।"

बागवानी को शरीर पर बोझ डाले बिना आसान और हेल्दी बनाने के कुछ तरीके ये हैं:

  1. हल्के औज़ार चुनें – भारी टूल्स की जगह हल्के और एर्गोनॉमिक (हाथ के लिए आरामदायक) औज़ार इस्तेमाल करें।

  2. ऊँचे गार्डन बेड या गमले – ज़मीन पर झुकने की बजाय उठे हुए बेड या टेबल-गमले में पौधे लगाएँ, इससे पीठ और घुटनों पर दबाव कम होता है।

  3. छोटे-छोटे ब्रेक लें – लगातार झुककर काम न करें, हर 15–20 मिनट बाद थोड़ा आराम करें।

  4. बैठकर काम करें – अगर संभव हो तो छोटे स्टूल पर बैठकर पौधे लगाएँ या निराई-गुड़ाई करें।

  5. सही समय चुनें – धूप तेज़ होने पर काम न करें, सुबह या शाम को बागवानी करें।

  6. हाइड्रेटेड रहें – पानी साथ रखें और बागवानी करते समय शरीर को डिहाइड्रेट न होने दें।

  7. सही मुद्रा रखें – पौधे लगाते समय रीढ़ को सीधा रखें और घुटनों को मोड़कर झुकें।

👉 इस तरह आप बागवानी का मज़ा भी ले सकेंगे और शरीर पर ज़्यादा ज़ोर भी नहीं पड़ेगा।

निष्कर्ष

इस प्रकार बागवानी केवल एक शौक नहीं है; यह हमारे संपूर्ण स्वास्थ्य और पर्यावरण के सुधार के लिए एक प्रभावी उपाय है। इसे अपने जीवन में शामिल कर हम न केवल अपने जीवन को बेहतर बना सकते हैं, बल्कि पृथ्वी को भी एक हरित और स्वच्छ स्थान बना सकते हैं।

Frequently Asked Question

1- नये लोगों को किन पौधों से गार्डनिंग शुरू करना चाहिये ?

नये लोगों को गार्डनिंग की शुरूआत गेंदा और पोर्चुलाका, तुलसी, ऐलोवेरा और पुदीना, पालक धनियां और मैथी से करना चाहिये। ये पौधे कम देखभाल में भी अच्‍छी ग्रोथ करते हैं और शुरूआती लोगों को गार्डनिंग के प्रति आत्‍मविश्‍वास देते हैं।

 

हाँ, गार्डनिंग सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है। गार्डनिंग के दौरान शरीर की हल्‍की सी कसरत होती है, जो फिटेनस के लिये फायदेमंद है। गार्डनिंग तनाव को कम करती है और मानसिक शांति प्रदान करती है। खुद के उगाये हुए फल और सब्जियां खाने से शरीर में केमिकल-फ्री पोषण पहुंचता है।

घर या गार्डन में निम्न पौधे लगाने से हवा साफ रहती है:

  • स्‍नेक प्‍लांट रात में भी आक्‍सीजन रिलीज करता है।
  • ऐलोवेरा प्‍लांट फॉर्मल्डीहाइड और बेंजीन जैसी हानीकारक गैसों को फिल्‍टर करता है।
  • दूसरी ओर पीस लिली प्‍लांट वायु को साफ करता है और नमी बनाये रखता है।
  • मनी प्‍लांट टॉक्सिक पदार्थों को हटाने में मदद करता है।

पौधों के साथ समय बिताने से तनाव और चिंता कम होती है तथा मन को शांति और खुशी मिलती है।

हल्के औजारों का प्रयोग करें, ऊंचे बेड में पौधे लगाएं और काम को छोटे-छोटे हिस्सों में बाँटें।

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