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Ayurvedic herbs for saliva health hindi- लार (Saliva) एक पारदर्शी तरल है जो हमारे पाचन तंत्र, मुंह की सफाई और रोग प्रतिरोधक क्षमता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आयुर्वेद में इसे मुखरस कहा गया है। यदि लार का स्राव कम हो जाए या उसकी गुणवत्ता घट जाए, तो इससे पाचन, दांतों की सेहत और मुंह की स्वच्छता पर असर पड़ता है।
आयुर्वेद में अनेक ऐसी जड़ी-बूटियाँ और वनस्पति पौधे बताए गए हैं, जो लार के स्राव को बढ़ाते हैं, मुंह के छालों और सूखेपन से राहत दिलाते हैं और मौखिक स्वास्थ्य को सुधारते हैं।
🔍 पहले समझें: लार से “संबंधित” वनस्पति से क्या तात्पर्य है?
ऐसे पौधे जो:
- लार स्राव को बढ़ाएं (Saliva Stimulants)
- मुंह की शुष्कता (Dry Mouth/Xerostomia) को दूर करें
- मुंह की सफाई करें या छालों, घावों में लार को सहयोग दें
पाचन में सहायक होकर लार एंजाइम की क्रिया को बेहतर करें
🌿 लार को सक्रिय करने वाले प्रमुख आयुर्वेदिक पौधे:
1. अदरक (Zingiber officinale)
- कैसे मदद करता है: अदरक लार ग्रंथियों को उत्तेजित करता है जिससे लार का स्राव बढ़ता है।
- उपयोग: अदरक का एक पतला टुकड़ा मुंह में रखकर चबाएं। सूखे मुंह में विशेष लाभ।
2. मुलेठी (Licorice Root)
- कैसे मदद करता है: मुलेठी लार को चिकनाई प्रदान करती है और सूखेपन से राहत देती है।
- उपयोग: मुलेठी की जड़ को चूसें या चूर्ण के रूप में गर्म पानी के साथ लें।
3. इलायची (Cardamom)
- कैसे मदद करता है: मुंह को ताजगी देने के साथ-साथ लार के स्राव को बढ़ाती है।
- उपयोग: भोजन के बाद दो इलायची दाने चबाएं।
4. लौंग (Clove)
- कैसे मदद करता है: जीवाणुरोधी गुणों से युक्त लौंग लार के प्राकृतिक संरक्षण गुणों को बढ़ाता है।
- उपयोग: लौंग को धीरे-धीरे चबाएं या लौंग का तेल पानी में मिलाकर गरारे करें।
5. त्रिफला (हरड़, बहेड़ा, आंवला)
- कैसे मदद करता है: यह मिश्रण मुंह की सफाई करता है और लार को रोगनाशक गुण प्रदान करता है।
उपयोग: त्रिफला चूर्ण को रात में पानी में भिगोकर सुबह उससे कुल्ला करें।
6. नीम (Azadirachta indica)
- कैसे मदद करता है: नीम लार में मौजूद रोग नाशक तत्वों को मजबूत करता है।
- उपयोग: नीम की दातुन करें या नीम का पानी गरारे में उपयोग करें।
7. वासा (अडूसा – Justicia adhatoda)
- कैसे मदद करता है: मुंह के छाले या संक्रमण में राहत देता है और लार के माध्यम से मुंह को साफ करता है।
उपयोग: वासा के पत्तों का काढ़ा बनाकर कुल्ला करें।
8. चोबचीनी (Smilax china)
- कैसे मदद करता है: लार में जीवाणु रोधी गुणों को बढ़ावा देता है और छालों में राहत देता है।
- उपयोग: चूर्ण के रूप में पानी या शहद के साथ लें।
लार की महत्वता को समझें
🧪 1. लार क्या है?
लार एक रंगहीन, चिपचिपा तरल पदार्थ है जो हमारे मुंह की लार ग्रंथियों (salivary glands) से निकलता है। यह 98% पानी और 2% एंजाइम्स, इलेक्ट्रोलाइट्स, म्यूसिन, एंटीबॉडी व अन्य बायोएक्टिव पदार्थों से मिलकर बना होता है।
🍲 2. पाचन प्रक्रिया की शुरुआत लार से
जब हम किसी भोजन को मुंह में डालते हैं, तब लार का सबसे पहला काम शुरू हो जाता है। इसमें मौजूद एंजाइम सलिवरी एमाइलेज (salivary amylase) भोजन में उपस्थित स्टार्च को तोड़ने का कार्य करता है, जिससे पाचन प्रक्रिया की शुरुआत होती है। लार भोजन को नरम बनाकर निगलने में भी मदद करती है।
🦠 3. बैक्टीरिया से सुरक्षा प्रदान करती है
लार में लायसोजाइम, लैक्टोफेरिन और इम्युनोग्लोबुलिन A (IgA) जैसे प्राकृतिक रोग प्रतिरोधक तत्व होते हैं जो हानिकारक बैक्टीरिया को मारते हैं। यह दांतों को सड़न, मसूड़ों की सूजन और सांस की दुर्गंध से बचाती है।
😷 4. शुष्क मुंह (Dry Mouth) एक संकेत
यदि मुंह बार-बार सूखता है, तो यह “Dry Mouth Syndrome” हो सकता है। यह स्थिति थूक के उत्पादन में कमी के कारण होती है और इससे बोलने, निगलने, यहां तक कि स्वाद लेने में भी परेशानी हो सकती है। यह डिहाइड्रेशन, दवाओं के साइड इफेक्ट या कुछ बीमारियों का संकेत हो सकता है।
😋 5. स्वाद की अनुभूति में सहायक
स्वाद ग्रंथियाँ तब ही सक्रिय होती हैं जब भोजन लार में घुलता है। बिना लार के, कोई भी भोजन स्वादहीन लगेगा। यह विभिन्न स्वादों—जैसे मीठा, खट्टा, नमकीन और तीखा—की पहचान में मदद करती है।
🦷 6. दांत और मसूड़ों की रक्षा करती है
लार में कैल्शियम और फॉस्फेट जैसे खनिज तत्व होते हैं, जो दांतों को मज़बूती प्रदान करते हैं और दंत क्षरण (Tooth Decay) से बचाते हैं। यह मसूड़ों को भी नमी और पोषण प्रदान करती है।
💬 7. बोलने में मददगार
मुंह में लार की पर्याप्त उपस्थिति से जीभ और होंठ आसानी से गति करते हैं, जिससे शब्दों का उच्चारण साफ और स्पष्ट होता है। इसलिए बहुत अधिक सूखा मुंह बोलने में बाधा बन सकता है।
🩹 8. मुंह के घावों को तेजी से भरती है
लार में मौजूद हिस्टैटिन (Histatin) जैसे प्रोटीन चोट या छालों के उपचार में सहायक होते हैं। लार में एंटीमाइक्रोबियल गुण होते हैं जो घाव को संक्रमण से भी बचाते हैं।
⚖️ 9. अम्लीयता को संतुलित रखती है
हम जो भी खाते हैं, विशेषकर मीठा और जंक फूड, वह मुंह में अम्लीयता (Acidity) बढ़ा सकता है। लार इस अम्लीयता को न्यूट्रलाइज करके दांतों को सड़न से बचाती है।
🥤 10. लार को स्वस्थ बनाए रखने के उपाय
- पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं: दिनभर में 8–10 गिलास पानी पीने से लार का उत्पादन संतुलित रहता है।
- मुंह को बार-बार कुल्ला करें: भोजन के बाद मुंह साफ करना जरूरी है।
- मीठा अधिक न खाएं: शुगर लार में बैक्टीरिया को बढ़ाती है।
- धूम्रपान व शराब से बचें: ये लार ग्रंथियों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
- भोजन को अच्छी तरह चबाएं: इससे लार का स्राव स्वाभाविक रूप से बढ़ता है।
🦷 लार और मौखिक स्वच्छता:
इन सभी पौधों का प्रयोग न केवल लार की गुणवत्ता बढ़ाने में सहायक होता है, बल्कि ये दांतों और मसूड़ों की रक्षा भी करते हैं। नियमित उपयोग से कैविटी, सांस की दुर्गंध और मुंह की सूजन जैसी समस्याओं से बचाव होता है।
⚖️ आयुर्वेदिक दृष्टिकोण:
आयुर्वेद में “लार” को रसधातु का उपप्रदर्शक माना गया है। जब शरीर का जठराग्नि (पाचन अग्नि) संतुलित होता है, तब लार का प्रवाह और कार्य भी संतुलित रहता है। उपर्युक्त जड़ी-बूटियाँ जठराग्नि और लार—दोनों को संतुलन में रखने में सहायक हैं।
✅ उपयोग करते समय सावधानियाँ:
- सभी हर्ब्स का उपयोग सीमित मात्रा में करें।
- गर्भवती महिलाएं या गंभीर बीमारी से पीड़ित व्यक्ति प्रयोग से पहले चिकित्सक की सलाह लें।
- एलर्जी की स्थिति में उपयोग तत्काल बंद करें।
इन पौधों का उपयोग किसे करना चाहिए?
- जिन्हें बार-बार मुंह सूखने की शिकायत हो
- जिनके मुंह में छाले या जलन होती हो
- जो पाचन सुधारना चाहते हों
- जिनकी लार ग्रंथियाँ कम सक्रिय हों
📌 निष्कर्ष:
लार एक ऐसा प्राकृतिक तत्व है जो शरीर को न केवल पाचन में मदद करता है बल्कि मुंह और दांतों की रक्षा भी करता है। आयुर्वेद में बताए गए पौधे जैसे अदरक, मुलेठी, त्रिफला, लौंग और नीम—लार की गुणवत्ता और संतुलन को बनाए रखने में अति उपयोगी हैं। इनका नियमित, संयमित और सही तरीके से सेवन करने पर संपूर्ण मौखिक स्वास्थ्य बेहतर होता है।
🔒 Disclaimer:
This article is intended for informational purposes only. The home and Ayurvedic remedies mentioned here are not a substitute for professional medical advice, diagnosis, or treatment. Always consult a qualified doctor or certified Ayurvedic practitioner before starting any new health regimen. Neither the author nor the website is responsible for any adverse effects resulting from the use of the information provided.
❓ FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
Q1. क्या लार के लिए मुलेठी का रोज सेवन सुरक्षित है?
हाँ, सीमित मात्रा में मुलेठी का सेवन लाभकारी है, लेकिन उच्च बीपी वाले मरीजों को सावधानी बरतनी चाहिए।
Q2. क्या आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियाँ Dry Mouth में मदद करती हैं?
हाँ, मुलेठी, अदरक और इलायची जैसी जड़ी-बूटियाँ सूखे मुंह में प्राकृतिक नमी बनाए रखती हैं।
Q3. क्या त्रिफला से लार की सफाई होती है?
जी हाँ, त्रिफला मुंह की सफाई और लार की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में कारगर है।
Q4. कितनी बार नीम की दातुन करना चाहिए?
सुबह खाली पेट 1 बार नीम की दातुन करना पर्याप्त है।
Q5. क्या लार बढ़ाने के लिए लौंग रात में भी ली जा सकती है?
हाँ, विशेष रूप से यदि मुंह में छाले या संक्रमण हो तो लौंग चबाना फायदेमंद है।
